Deep Life Shayari in Hindi – टॉप 300+ हिंदी शायरी on लाइफ
Life Shayari in Hindi: Zindagi me dikkatein to bahut hai par hum dusro ko khush rakhne ki puri koshish karte hai! Waise hi khud ko motivate karna bhi bhut zruri hai isiliye aaj hum aapke liye layein hai Best Shayari on life and Life Shayari in Hindi by Gulzar.
Umeed hai aapko ye shayariyo’n ka collection acha lagega.
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Behtareen Life Shayari in Hindi 2020 | टॉप 300+ हिंदी लाइफ शायरी
सवालों में रहने दो मुझे,
मैं जवाब बहुत बुरा हूँ
खुदा जाने कौन सा गुनाह कर बैठे है हम कि
तमन्नाओं वाली उम्र में तजुर्बे मिल रहे है!!
मुस्कुराते फूलों में जो ना दिखा, वो पत्थर की मूरत में कहाँ दिखेगा
बन्दे इबादत की नज़र से तो देख फ़िर जर्रे जर्रे में खुदा दिखेगाZindagi Shayari
मुफ्त में नहीं आता कोई हुनर, यह शायरी का हुनर ही लेलो,
इसके बदले ज़िन्दगी हमसे, हमारी खुशियों का सौदा करती है
आँधियों से ना बुझूं ऐसा उजाला हो जाऊँ;
तू नवाज़े तो जुगनू से सितारा हो जाऊँ;
एक बून्द हूँ मैं, मुझे ऐसी फितरत दे मेरे मालिक
कोई प्यासा दिखे तो दरिया हो जाऊँ
सफ़र की हद है वहाँ तक कि कुछ निशान रहे
चले चलो के जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये क़दम और आ गई मन्ज़िल
मज़ा तो जब है , के पैरों में कुछ थकान रहे
जमीन जल चुकी है आसमान बाकी है
Life Shayari
दरख्तों तुम्हारा इम्तहान बाकी है
वो जो खेतों की मेढ़ों पर उदास बैठे हैं
उन्ही की आखों में अब तक ईमान बाकी है
बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर
मकान गिरवी है और लगान बाकी है
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ना किस्सों से और ना ही किश्तों से
ये ज़िन्दगी बनती है कुछ रिश्तों से
एक सफ़र ऐसा भी होता है दोस्तों,
जिसमें पैर नहीं दिल थक जाता है
कश्मकश यह है, कैसी बसर करें ज़िन्दगी
पैरों को काट फैंके या चादर छोटी करें
यह तुफान भी थम जाएंगे और रास्ते की कांटे भी हट जाएंगे
ऐ मुसाफिर यूं ना थक कर बैठ तेरे हौसले से
यह कायनात के असूल भी बदल जाएंगे…….
वह बैठा है ऊपर, उसके फैसले भी बदल जाएंगे
पड़ जाती है उसकी आदत, जो मुश्किलों में करीब होते हैं
सच ही कहा है किसी ने, ये सहारे भी बड़े अजीब होते हैं
हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं
कमबख्त मुट्ठी में हैं पर काबू में नहीं
कितनी फ़िक्र है कुदरत को मेरी तन्हाई की
जागते रहते हैं रात भर सितारे मेरे लिए
बहुत देखा जीवन में समझदार बन कर
पर ख़ुशी हमेशा पागलपन से ही मिली है
इंसान बिकता है कितना महँगा या सस्ता
येउसकी मजबूरी तय करती है
अब पहले जैसी ना रही ज़िंदगी बस सोचते सोचते गुज़र रही है,
मौज तो बचपन में थी यारों अब तो कामयाबी के फ़िकरों में निकल रही है।
ज़िंदगी तो कठिनाइयों का रास्ता है, मंजिल अपनी कुछ ख़ास रखना,
सफलता जरूर मिलेगी, बस इरादे नेक और हौसले बेहिसाब रखना।
सच कहूँ तो मुझे एहसान बुरा लगता है,
जुल्म सहता हुआ इंसान बुरा लगता है,
कितनी मसरुक हो गयी है ये दुनिया,
एक दिन ठहरे तो मेहमान बुरा लगता है।
चमक सूरज की नहीं मेरे किरदार की हैं
खबर ये आसमाँ के अखबार की हैं
मैं चलूँ तो मेरे संग कारवां चले
बात गुरुर की नहीं……ऐतबार की हैं..
राहे रूकती हैं जब, ज़िन्दगी झुकती हैं तब
सर झुकता है जब, वक़्त रुकता हैं तब
जमाना हसंता हैं जब, सांसें रूकती हैं तब
बाहे दुखती हैं जब, हिम्मत रूकती हैं तब
शरीर खंजर सा हो जाता हैं, आत्मा बंजर सी हो जाती हैं
ना जाने क्यों ये ज़िन्दगी सिमट कर रह जाती हैं |
एक अलग सी पहचान बनाने की आदत है हमें
ज़ख़्म हो जितना गहरा उतना मुस्कुराने की आदत है हमें
सब कुछ लूटा देते है प्यार में
क्यूंकि प्यार निभाने की आदत है हमें
आज जिस्म मे जान है तो देखते नही हैं लोग
जब रूह निकल जाएगी तो कफन हटा-हटा कर देखेंगे
दिल को इसी फ़रेब में रखा है उम्रभर
इस इम्तिहां के बाद कोई इम्तिहां नहीं
सीढिया उन्हे मुबारक हो जिन्हे छत तक जाना है
मेरी मन्जिल तो आसमान है रास्ता मुझे खुद बनाना है
गांव छोड़ के शहर आया था फिक्र वहां भी थी फ़िक्र यहां भी है
वहां तो सिर्फ ‘फसलें’ ही खतरे में थीं यहां तो पूरी ‘नस्लें’ खतरे में है
बड़ी अजीब सी है ,शहर की रोशनी
उजालों के बावजूद , चेहरे पहचानना मुश्किल है
प्यार के दो मीठे बोल से ही खरीद लो मुझे
दौलत की सोचोगे, तो पूरी दुनिया बेचनी पड़ेगी
ये जिंदगी का फलसफा है यारो
दुखो वाली रात नींद नही आती
और खुशी वाली रात कौन सोता है
वफ़ा की कीमत कोई मुझसे आकर पूछे
जिंदगी बेच दी मैंने इसे पाने की खातिर
सौ दुश्मन बनाए हमने,किसी ने कुछ नहीं कहा
एक को हमसफर क्या बनाया सौ ऊँगली उठ गई
जिम्मेदारियां ओढ़ के निकलता हूँ घर से यारो
वर्ना बारिशों में भीगने का शौक तो अब भी है
शोहरत तो जनाज़े के दिन ही पता चलेगी जनाब,
दौलत का क्या है, वो तो कोई भी कमा लेता है
वक़्त बहुत कुछ, छीन लेता है
खैर मेरी तो सिर्फ़ मुस्कुराहट थी
सब कुछ हासिल नहीं होता ज़िन्दगी में यहाँ
किसी का काश तो किसी का अगर छूट ही जाता है
कमा के इतनी दौलत भी मैं अपनी माँ को दे ना पाया
के जितने सिक्कों से माँ मेरी नज़र उतारा करती थी
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